श्री हनुमान स्तवन Shree Hanuman Stavan के पाठ से हनुमान जी बहुत जल्दी प्रसन्न होते है। श्री हनुमान स्तवन श्रीमद गोस्वामी तुलसीदास के समय से पहले का लिखा हुआ है।
श्री हनुमान स्तवन | Shree Hanuman Stavan
श्री हनुमत्-स्तवन | Shree Hanumat Stavan
॥ सोरठा ॥ प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ग्यानघन। जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर॥
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्। |
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥ |
गोष्पदीकृतवारीशं मशकीकृतराक्षसम्। |
रामायणमहामालारत्नं वन्देऽनिलात्मजम्॥ |
अञ्जनानन्दनं वीरं जानकीशोकनाशनम्। |
कपीशमक्षहन्तारं वन्दे लङ्काभयङ्करम्॥ |
उल्लङ्घ्य सिन्धो: सलिलं सलीलं यः शोकवह्निं जनकात्मजाया:। |
आदाय तेनैव ददाह लङ्कां नमामि तं प्राञ्जलिराञ्जनेयम्॥ |
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्। |
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥ |
आञ्जनेयमतिपाटलाननं काञ्चनाद्रिकमनीयविग्रहम्। |
पारिजाततरुमूलवासिनं भावयामि पवमाननन्दनम्॥ |
यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र तत्र कृतमस्तकाञ्जलिम्। |
वाष्पवारिपरिपूर्णलोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तकम्॥ |
॥ इति श्री हनुमत्-स्तवन सम्पूर्ण ॥
और पढ़े: संकट मोचन हनुमानाष्टक | Sankat Mochan Hanuman Ashtak