पीतल Brass एक धातु ना होकर एक उप धातु (Alloy) है क्योंकि ये ताम्बा (Copper) और जस्ता (Zinc) से मिलकर बनी होती है। दो धातुओं के मिश्रण के कारण यह एक मिश्रित धातु या उपधातु (Alloy) है।
Brass | पीतल
What is Brass Metal | पीतल धातु क्या है
संसार में जितनी भी धातुएं है वह सभी मुख्य आठ धातुओं से बनी है जिन्हे अष्ट महा धातु कहा जाता है। यह अष्ट महा धातु है :-
- सोना (Gold)
- चाँदी (Silver)
- तांबा (Copper)
- जस्ता/जस्त (Zinc)
- वंग/रांगा (Tin)
- लोहा (Iron)
- सीसा/नाग (Lead)
- पारा/पारद/रस (Mercury)
पीतल इन्ही अष्ट महा धातुओं में से दो धातुओं ताम्बा (Copper) और जस्ता (Zinc) को मिलाने से बनी है। पीतल में ताम्बा (Copper) 66% और जस्ता (Zinc) 34% होता है या साधारण शब्दों में ताम्बा और जस्ता कर्मांश 2:1 के अनुपात में होते है अर्थात 2 भाग ताम्बा और 1 भाग जस्ता होता है। पीतल में इन दो धातुओं के बिना कोई अन्य धातु नहीं मिलाई जाती है।
पीतल धातु के प्रकार | Types of Brass
पीतल धातु दो प्रकार का होती है :-
- काकतुंडी पीतल
- रितिका पीतल
1. काकतुंडी पीतल
काकतुंडी पीतल एक मिलावटी पीतल होता है। इस पीतल के बर्तन का कभी भी प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि यह एक अशुद्ध धातु होती है। इस पीतल में सीसा (Lead), लोहा, एल्युमिनियम आदि की मिलावट होती है। यह पीतल स्वस्थ व्यक्ति को भी बीमार कर सकती है।
2. रितिका पीतल
99.9% शुद्ध ताम्बा और 99.9% शुद्ध जस्ता (Zinc) के मेल से जो पीतल बनता है वह रितिका पीतल होता है। रितिका पीतल बहुत गुणकारी होता है। इस पीतल में भोजन पकाने से बहुत ज्यादा स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
पीतल का इतिहास | History of Brass
पुराने समय से पीतल के बर्तनों में खाना पकाने का चलन रहा है। पहले के समय में लोग पीतल के भारी बर्तनों में खाना पकाते थे। जिसका सीधा संबंध उनकी सेहत से जुड़ा होता था। ऐसे बर्तनों में बना हुआ खाना कई पोषक तत्वों से युक्त होता है, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में मदद करता है। शादी विवाह में दहेज में पीतल के बर्तन देने का रिवाज सदियों से चलता आ रहा है।
पीतल के बर्तनों में खाना बनाना एक ऐसा रिवाज है जो काफी समय से चला आ रहा है। यह हमारे शानदार इतिहास का हिस्सा रहा है। इसके पीछे कई कारण हैं। जहाँ एक ओर किसी को लगता है कि पीतल की चमक और समृद्धि राजघरानों के बीच इसे पसंद करने का एक कारण हो सकती है, वहीं दूसरी ओर, टिकाऊपन, अत्यधिक स्वास्थ्य लाभ और अन्य कारण भी हैं जो इसे आम लोगों के लिए एक विकल्प बनाते हैं।
पीतल के बर्तनों की खूबसूरती और सौंदर्य छिपाए नहीं छिपता है। इनकी खूबसूरती और आधुनिक डिजाइन के साथ परंपरागत कला के मिश्रण से यह एक अद्भुत कलाकृति बन जाती है। कई पीतल के बर्तन बड़ी ही रचनात्मकता से बनाए जाते हैं। शिल्पकला के माहिरों द्वारा बनाए जाने वाले इन बर्तनों में इतने अद्वितीय और जटिल डिजाइन होते हैं, की कलाकृति सब का मन मोह लेती हैं।
भारत में पीतल के प्रसिद्ध शहर | Famous City of Brass in India
उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद शहर पूरी दुनिया में “पीतल नगरी” के नाम से जाना जाता है। यहां के पीतल के उत्पाद देश-विदेश में निर्यात किए जाते हैं। पीतल के उत्पादों में पीतल के खाने पीने के बर्तन, थाली, कटोरी चम्मच सहित आदि अनेक प्रकार की वस्तुएं भी इस शहर में तैयार की जाती है। यह शहर रामगंगा नदी के किनारे पर स्थित है, जो राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से 167 किमी और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 344 किमी उत्तर-पश्चिम में है। यहाँ की प्रसिद्ध पीतल की हस्तशिल्प दुनिया भर में निर्यात की जाती है।
भारत का एक और शहर जगाधरी भी “पीतल नगरी” के नाम से मशहूर है। यह शहर भारत के हरियाणा राज्य के यमुनानगर जिले में स्थित है। यह शहर यमुनानगर शहर के समीप स्थित है। यह दोनों शहर एक दूसरे के साथ इतना जुड़े हुए है की इनके बीच की सीमा रेखा को पहचानना मुश्किल है। जगाधरी हरियाणा राज्य की राजधानी चंडीगढ़ से लगभग 90 किमी दूर है। यह शहर पीतल और तांबे के उद्योग के लिए जाना जाता है।
पीतल के गुण | Qualities of Brass
पीतल का बर्तन दूसरे बर्तन से ज्यादा मजबूत होता है। पीतल का बर्तन जल्दी गर्म होता है जिससे गैस तथा अन्य ऊर्जा की बचत होती है। पीतल एक ऐसी धातु है जो लंबे समय तक गर्मी बनाए रख सकता है, जिससे भोजन को बिना दोबारा गर्म किए पर्याप्त मात्रा में गर्म रखा जा सकता है। अक्सर पके हुए भोजन को दोबारा गर्म करने से पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। एक बार गर्म होने के बाद, पीतल एक महत्वपूर्ण मात्रा में ऊर्जा को अपने अंदर संग्रहित करके रखता है, जिससे यह लंबे समय तक भोजन को गर्म रख सकता है। इसी कारण पीतल के तवे पर चपाती बनाना भी आसान है।
पीतल ताम्बा और जस्ता का मिश्रित धातु है। ताम्बा गर्मी का एक उत्कृष्ट चालक है। जब पीतल के बर्तनों में खाना पकाया जाता है, तो पीतल गर्मी को स्रोत से भोजन तक बड़ी तेजी और कुशलता से स्थानांतरित करता है। पीतल का घनत्व और द्रव्यमान गर्मी को पूरे बर्तन में फैलता है। पीतल की मोटाई में समानता भी गर्मी को समान मात्रा में वितरण में योगदान देती है।
पीतल की धातु यह सुनिश्चित करती है कि पूरे बर्तन को लगातार गर्मी मिलती रहे और स्थानांतरित होती रहे। चाहे आप भोजन तल रहे हो, भून रहे हो या उबाल रहे हो, भोजन लगातार गर्मी के संपर्क में रहता है। जिससे भोजन समान रूप से पकता है और भोजन जलने की संभावना भी कम हो जाती है। इसलिए पीतल की कढ़ाई सब्जियां पकाने के लिए सबसे अच्छा विकल्प मानी जाती है।
पीतल के बर्तन में भोजन पकाने के फायदे | Benefits of Cooking Food in Brass Utensils
पीतल ताम्बा और जस्ता का मिश्रित धातु है। पीतल के बर्तनों में खाना पकाने से भोजन में इन खनिजों की बहुत थोड़ी मात्रा भी मिल जाती है। रांगा (Tin) धातु की पर्त पीतल के बर्तन पर चढ़े होने के कारण टिन भी भोजन में अलप मात्रा में मिल जाता है। जिस कारण हमारे शरीर को अद्भुत लाभ मिलते है।
- पीतल के बर्तन में भोजन पकाने से उस भोजन के गुण और ज्यादा बढ़ जाते है।
- पीतल के बर्तन में पकाया हुआ भोजन खाने से या पीतल के बर्तन में रखा पानी पीने से सांस संबंधी रोगों जैसे अस्थमा लाभ में मिलता है।
- पीतल के बर्तन में खाने पकाने के दौरान इस में से बहुत ही अल्प मात्रा में जस्ता (Zinc) खाने में मिल जाता है जो कि खून को साफ करने में मदद करता है। साथ ही इससे हीमोग्लोबिन भी बढ़ता है।
- पीतल के बर्तन पर्याप्त मात्रा में मेलेनिन पैदा करते हैं जो खाना पकाने के दौरान खाने में मिल जाता हैं। मेलेनिन हमारे शरीर की त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए जरुरी होता है।
- पीतल के बर्तनों में पकाया हुआ भोजन करने से वजन घटाने और मोटापे से लड़ने में मदद मिलती है।
- पीतल के बर्तनों में पर्याप्त मात्रा में जिंक होता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है।
- पीतल के कलश में रखा जल अत्यधिक ऊर्जा प्रदान करने में सहायक होता है।
पीतल के बर्तन उपयोग करने में सावधानियां | Precautions for Using Brass Utensils
ताम्बा और जस्ता का मेल, पीतल के बर्तनों को एक ठोस और टिकाऊ रूप प्रदान करती है, जो पीतल के बर्तनों को रसोई में रोजाना की टूट-फूट को झेलने में सक्षम बनाते है। जंग-रोधी होने के कारण, पीतल के बर्तनों को हम रसोई में एक लंबे समय तक प्रयोग कर सकते हैं। नियमित सफाई के साथ, पीतल के बर्तनों से खाना बनाना जीवन भर का आनंद देने में सक्षम है। पीतल के बर्तनों पर खरोंच, डेंट या अन्य नुकसान होने की संभावना कम होती है जो नियमित खाना पकाने की गतिविधियों और सफाई के दौरान हो सकते हैं।
- पीतल कभी भी बिना कली करे प्रयोग ना करे।
- कलई हमेशा रांगा (Tin) की कराएं। सीसा (Lead) मिले रांगा की कलई कभी नहीं करनी चाहिए।
- खाने को बनाने के लिए लकड़ी की बनी कड़छी या पलटे का प्रयोग करें, क्योंकि इससे कलई नहीं उतरती और खाने का स्वाद बढ़ता है। कड़छी या पलटा शीशम, बबूल या आम की लकड़ी का हो तो सबसे उत्तम होता है।
- खाना पकाने का पीतल का बर्तन मोटे गेज का होना चाहिए क्योंकि पतले बर्तन में भोजन पकता नहीं अपितु जल जाता है।
- खाली पीतल का बर्तन कभी भी अग्नि पर न रखें, इससे कलई उतर सकती है।
- पीतल के बर्तन को साफ करने के लिए स्क्रबर (Scrubber) का प्रयोग ना करें , बल्कि जूट का प्रयोग करें।
- पीतल के बर्तन की सफाई कुछ दिनों बाद निम्बू, इमली, रेत आदि से करें, जिससे इनकी चमक पूरी तरह से वापिस आ जाती है।
- पीतल के बर्तन में भोजन पकाने के बाद भोजन को किसी अन्य बर्तन में स्टोर करें, क्योंकि पीतल के बर्तन में भोजन लम्बे समय तक स्टोर नहीं करना चाहिए।
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