Benefits of Anulom Vilom & Right Method | अनुलोम विलोम करने के फायदे और सही तरीका 

अनुलोम विलोम करने के फायदे (Benefits of Anulom Vilom) सैकड़ों है। अनुलोम विलोम प्राणायाम एक विशेष प्रकार का श्वास व्यायाम है। यह प्राणायाम फेफड़ों को मजबूत करता है, तनाव कम करता है और शरीर में ऊर्जा का संचार करता है। योग और प्राणायाम भारत की प्राचीन विधाएँ हैं, जो न केवल हमारे शरीर को स्वस्थ रखती हैं बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करती हैं।

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अनुलोम विलोम करने के फायदे और सही तरीका 

अनुलोम विलोम प्राणायाम एक विशेष प्रकार का श्वास व्यायाम है। अनुलोम विलोम करने के फायदे सैकड़ों है जैसे यह प्राणायाम फेफड़ों को मजबूत करता है, तनाव कम करता है और शरीर में ऊर्जा का संचार करता है।

अनुलोम विलोम क्या है? | What is Anulom Vilom?

अनुलोम विलोम प्राणायाम एक नाड़ी शोधन प्राणायाम है। यह प्राणायाम हमारे शरीर की नाड़ियों का शोधन करता है, जो शरीर की नाड़ियों (एनर्जी चैनल्स) को संतुलित करता है। नाड़ी शोधन की क्रिया सिर्फ एक प्राणायाम तक ही सीमित नहीं होती है, बल्कि यह एक पूरी प्रक्रिया होती है जिसकी शुरुवात अनुलोम विलोम प्राणायाम से होती है।

अनुलोम विलोम प्राणायाम कैसे करें? | How to Do Anulom Vilom?

अनुलोम विलोम प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले सुविधा अनुसार पद्मासन, सिद्धासन या सुखासन में बैठ जाएं। बैठने के दौरान कमर बिल्कुल सीधी होनी चाहिए। अब आप आंखें बंद कर ले और ध्यान वृकुटी (दोनों आँखों के बीच की जगह) की तरफ रखें। 

Meditation

इसके पश्चात दाएं हाथ के अँगूठे से दाई नासिका को दबाकर बंद करें तथा धीरे-धीरे एक लंबी सांस लें। सांस को 4 सेकंड तक अन्दर रोके तथा मध्यमा उंगली से बाई नासिका को दबाकर दाहिनी नासिका से सांस को धीरे-धीरे छोड़ दें। अब सांस को 2 सेकंड तक बाहर रोक कर रखें। 

इसी प्रकार दाहिनी नासिका से सांस को धीरे-धीरे खींचे तथा सास को 4 सेकंड तक रोक कर रखें। इसके पश्चात दाहिने हाथ के अँगूठे से ही दाहिनी नासिका को दबाकर रखें तथा बाईं नासिका से सास को छोड़ दें, अब सांस को 2 सेकंड तक बाहर रोक कर रखें। इस तरह अनुलोम विलोम का एक चक्र पूरा होता है। 

इसी प्रकार आप अपनी सामर्थ्य के अनुसार 5 से 15 मिनट तक इस प्राणायाम को सहजता के साथ करें। 

अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे | Benefits of Anulom Vilom Pranayam

  1. अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से हमारे शरीर की लगभग 72 करोड़ सूक्ष्म नाडिया खुल जाती हैं एवं उनमें रक्त का संचार सही होने से वह बिल्कुल शुद्ध हो जाती हैं।
  2. इस प्राणायाम को करने से हार्ट की ब्लॉकेज दूर होती है।
  3. यह प्राणायाम शरीर में रक्त संचार में सुधार करता है जिससे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बड़ती है। 
  4. इस प्राणायाम को करने से हाई एवं लो दोनों ही प्रकार के रक्तचाप (Blood Pressure) सही हो जाते है। 
  5. यह प्राणायाम हृदय को स्वस्थ रखता है, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है और हृदय को मजबूत बनाता है।
  6. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, इसका नियमित अभ्यास करने से शरीर की इम्यूनिटी मजबूत होती है।
  7. इस प्राणायाम से गठिया, बाई एवं जोड़ों में दर्द की समस्या में लाभ मिलता है।
  8. इस प्राणायाम खराब कोलेस्ट्रॉल कम होता है एवं अच्छा कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है।
  9. शरीर में से विषैले पदार्थ एवं टोक्सिन बाहर निकल जाते हैं।
  10. किडनी सही हो जाती है। 
  11. डायलिसिस के रोग में लाभ मिलता है यदि रोगी प्रतिदिन सुबह-शाम 15-15 मिनट अनुलोम विलोम प्राणायाम को करें तो उन्हें डायलिसिस मशीन पर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
  12. प्राणायाम को करने से सर्दी, खाँसी, जुखाम, नजला एवं इस प्रकार की सभी एलर्जी दूर होती है।
  13. इस प्राणायाम को करने से मस्तिष्क को बल मिलता है और याददाश्त तेज होती है।
  14. यह प्राणायाम मस्तिष्क को शांत करता है और तनाव और चिंता दूर करने में मदद करता है। 
  15. मस्तिष्क की एकाग्रता बढ़ाता है, दिमाग को संतुलित और केंद्रित करने में मदद करता है।
  16. यह प्राणायाम इतना प्रभावी है कि इसको करने से ब्रेन ट्यूमर के ठीक होने में लाभ मिलता है।
  17. मधुमेह अर्थात् डाइबिटीज की बीमारी में बहुत ज्यादा लाभ मिलता है।
  18. शरीर में ठंडी एवं गर्म हवा प्रवेश करने से शरीर का तापमान संतुलित रहता है और रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ जाती है।
  19. यह प्राणायाम श्वसन प्रणाली को मजबूत करता है, इसलिए इस प्राणायाम को करने से दमा, श्वास की बीमारी आदि में लाभ मिलता है। 
  20. यह प्राणायाम फेफड़ों की शक्ति बढ़ाता है, जिससे श्वसन प्रणाली मजबूत होती है और सांस की समस्या कम होती है।

इसके अतिरिक्त अनुलोम विलोम प्राणायाम के और भी अनेकों फायदे हैं। 

अनुलोम विलोम प्राणायाम करते समय सावधानियां | Precautions & Tips while Doing Anulom Vilom

  1. सांस इतने आराम से लें कि पास बैठे हुए व्यक्ति को यह पता ना चले कि आप सांस ले रहे हैं या नहीं। सांस लंबी और गहरी होनी चाहिए। 
  2. बहुत तेज गति से सांस न लें, धीरे-धीरे और नियंत्रित रूप से सांस लेना चाहिए। 
  3. सांस जितनी लंबी और गहरी होगी नाड़ी शोधन उतना ही ज्यादा होगा एवं इस प्राणायाम का उतना ही ज्यादा लाभ आपको मिल सकेगा। प्राणायाम करते समय अपना ध्यान दोनों आंखों के बीच आज्ञा चक्र, जिस स्थान पर महिलाएँ बिंदी लगाती हैं पर रखें।
  4. हमारी बाईं नासिका से ठंडी वायु शरीर में जाती है इसलिए बाईं नाडी को चंद्र नाड़ी कहा जाता है जबकि दाहिनी नासिका से गर्म वायु शरीर में जाती है इसलिए दाहिनी नासिका को सूर्य नाड़ी कहा जाता है। इस प्रकार इस प्राणायाम के करने से शरीर का तापमान संतुलित रहता है एवं हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। इसलिए गर्मियों में बाईं और सर्दियों में दाई नासिका से प्राणायाम की शुरुआत करें।
  5. यदि सांस की गंभीर समस्या है, तो डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
  6. प्राणायाम करने से पहले अधिक भारी भोजन न करें।
  7. सांस को हमेशा 4:2 के अनुपात में ही रोके। 

👉 क्या आप अनुलोम विलोम करते हैं? अपने अनुभव को कमेंट में साझा करें! 😊

और पढ़ें: प्राणायाम क्या है | What is Pranayam 

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